तन पर लूआं आग सी अन्तर तिल की आग।

दो आगां री आंच में पड़िया प्राण अभाग॥

भावार्थ:- शरीर पर अग्नि-ज्वाला, प्यास के मारे अन्तर्दाह, इन दोनों अग्नियों के बीच में बेचारी हरिणियों के अभागे प्राण सूखे जा रहे हैं।

स्रोत
  • पोथी : लू ,
  • सिरजक : चंद्र सिंह बिरकाळी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर (राज.) ,
  • संस्करण : चतुर्थ
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