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अंजस सोशल मीडिया
सिर जावे तो जाण दो
संत सुखरामदास
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सिर
जावे
तो
जाण
दो,
झूठ
न
बोलों
कोय।
साहिब
तो
सुखराम
के,
साँच
बैण
में
होय॥
स्रोत
पोथी
: संत सुखरामदास
,
सिरजक
: संत सुखरामदास
,
संपादक
: डॉ. वीणा जाजड़ा
,
प्रकाशक
: राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर
,
संस्करण
: प्रथम
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