चंदा तो किण खंडियउ, मो खंडी किरतार।
पूनिम पूरउ ऊगसी, आवंतइ अवतार॥
विरह दग्धा मारवणी चाँद को संबोधित करती हुई कहती है कि हे चन्द्र! मुझे तो विधाता ने खंडित किया पर तुझे किसने खंडित किया है। तू तो वापस पूर्णिमा को पूर्ण होकर उगेगा परंतु मैं तो अबआगामी जन्म में ही पूर्ण होउँगी।