बाबहियौ नइ विरहणी, दुहुवाँ एक सहाव।
जब ही बरसै घण घणउ, तब ही कहइ प्रियाव॥
पपीहा और विरहणी दोनों का एक स्वभाव है। जब मेघ बरसता है तब दोनों पी-आव पी-आव पुकारते हैं।