संगत बिना तो भाव नही, भावबिना नही प्रीत।

प्रीत बिना सुखराम के, नही भजन की चीत॥

स्रोत
  • पोथी : संत सुखरामदास ,
  • सिरजक : संत सुखरामदास ,
  • संपादक : डॉ. वीणा जाजड़ा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
जुड़्योड़ा विसै