सधी घणी बुगला अठ, प्रगटी आखर पोल।
जीव न आसी जाळ में, चावै आंख न खोल॥
आंटो कर छांटो मना, चावै चीरै चाम।
कांटो जड़ सूं काढ़तां, कांटो आसी काम॥
घाणी घेरो घाळतां, काटी आखी जूण।
वा रै तेली रा बळद, रीझ्यो चूंठी चूण॥
हाथी तूं न हिरावड़ो, खुल्लो खेतां खाय।
गाय अड़ावै जे बड़ै, चट फाटक पोंचाय॥
राजघरां अर लाजमां, रण में जिण री ठोड़।
दियो आज इण देस में, हाथी नै हळ जोड़॥
किण करड़ावण कूकड़ा, आज न दीधी बांग।
आंथ्यो सो तो ऊगसी, भळै न होसी मांग॥
बांग सुणा तूं बावळा, अबसी मोको हाथ।
याद कुणां नै आवसी, पोर हुयां परभात
धिन कुत्ता तेरो धरम, करै न रत्ती चूक।
पोरो राखै पूरसल, खाय चुथाई टूक॥
छीलरिया क्यूं ऊझलै, थोड़ी छांटां पाय।
समदर थां सूं सोगुणो, लीक छोड़ ना जाय॥
सुण समदर सोजोजना, लीक छोड़ ना जाह।
छोटा छीलर ऊझळै, तैं घर रीत न आह॥