राम भजन में सुख अनंत, सुमर्यां सूं पावै।

बिनि सुमर्यां चेतन कहै, हाथि नहीं आवै॥

स्रोत
  • पोथी : स्वामी चेतनदास व्यक्ति, वाणी, विचार एवं शिष्य परंपरा (सुमिरन को अंग) ,
  • सिरजक : चेतनदास ,
  • संपादक : ब्रजेन्द्रकुमार सिंहल ,
  • प्रकाशक : संत उत्तमराम कोमलराम 'चेतनावत' रामद्वारा इंद्रगढ़, (कोटा) राजस्थान ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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