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नीठि नीठि उठि बैठहीं
नागरीदास
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नीठि
नीठि
उठि
बैठहीं,
पिय
प्यारी
परभात।
दोऊ
नींद
भरे
खरे,
गरैं
लागि
गिर
जात॥
स्रोत
पोथी
: नागरीदास ग्रंथावली
,
सिरजक
: नागरीदास
,
संपादक
: डॉ. किशोरीलाल गुप्त
,
प्रकाशक
: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी
,
संस्करण
: प्रथम
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राधा
भगती काव्य