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आंनन सौ आंनन छियै
नागरीदास
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आंनन
सौ
आंनन
छियै,
पानन
रचे
कपोल।
लखि
रीझे
छबि
आरसी,
विहसैं
लोयन
लोल॥
स्रोत
पोथी
: नागरीदास ग्रंथावली
,
सिरजक
: नागरीदास
,
संपादक
: डॉ. किशोरीलाल गुप्त
,
प्रकाशक
: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी
,
संस्करण
: प्रथम
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