प्रेम बराबर नाहिं तुल, जोग जग्य अरू होम।
तारायण सब ही उदै, नहीं समान कोई सोम॥
योग, यज्ञ और होम प्रेम के बराबर उसी प्रकार नहीं तौले जा सकते, जिस प्रकार अनेक तारों का समूह चंद्रमा की बराबरी नहीं कर पाते।