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साइट: परिचय
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अंजस सोशल मीडिया
जाकै सेवग रामजी
स्वामी आत्माराम
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जाकै
सेवग
रामजी,
कमी
नहीं
कांई।
आत्म
दशूं
दिशा
भरपूर
है,
अण
चाह्या
आई॥
स्रोत
पोथी
: श्री महाराज हरिदासजी की वाणी सटिप्पणी
,
सिरजक
: स्वामी आत्माराम
,
संपादक
: मंगलदास स्वामी
,
प्रकाशक
: निखिल भारतीय निरंजनी महासभा,दादू महाविद्यालय मोती डूंगरी रोड़, जयपुर
,
संस्करण
: प्रथम
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