नांव सुण्यां सुख ऊपजै जिवड़ै हुळस अपार।

रग-रग नाचै कोड में दे दरसण जिण वार॥

भावार्थ:- तुम्हारा नाम सुनते ही सुख उपजता है और प्राणों में अपार हुलास होता है। जिस समय तू दर्शन देती है, रग-रग तुम्हारे चाव में नाच उठती है।

स्रोत
  • पोथी : बादळी ,
  • सिरजक : चंद्र सिंह बिरकाळी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर (राज.) ,
  • संस्करण : छठा
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