बोली रड़कै बावळा,
तीखोड़ी मत ताण।
करदे घट में कोचरा,
बाणी जिण गत बाण॥
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बोली मीठी बोलतां,
सुधर ज्याय सब काज।
जण जण रै हिवड़ै बसै,
बाणी वीणा साज॥
अपणावै मन ओपरी,
मेटै मायड़ मूळ।
नाजोगां इण नेतियां,
धोबा भर-भर धूळ॥