कौडी बिन कीमत नहीं, सगा न राखै साथ।
हाजर नांणौ हाथ में, बैरी बूझै बात॥
ओ3म् वाक् वाक्॥

दाळद पर दोळौ हुवै, परणि न आवै पास।
रुपिया होवे रोकड़ा, सोरा आवै सास॥
ओ3म् प्राणः प्राणः॥

कळजुग में कळदार बिन, भायां पड़िया भेव।
जिण घर माया जोर में, दरसण आवै देव॥
ओ3म् चक्षुः चक्षुः॥

रुपियां बिन रागां करै, हाजर जोड़ै हाथ।
एक अधेली आंट में, बोळौ सुण लै बात॥
ओ3म् श्रोत्रम् श्रोत्रम्॥

भांत भांत रा सांग भर, प्रभु सूं करे न प्रेम।
सोधै लिछमी साधड़ा, नाभ कँवळ रौ नेम॥
ओ3म् नाभिः॥

घरधारी घबराय नै, भणिया मांगै भीक।
नांणौ ले प्रभु नांम रौ, ठरै काळजा ठीक॥
ओ3म् हृदयम्॥

करै कमाई कपट सूं, दीन हांण कर दोर।
कंठ दाब काढै कसर, जम का लागै जोर॥
ओ3म् कण्ठः॥

देवां रौ ही देवता, रुपियां रौ ही राज।
अंगरेजां में आज दिन, सारां रा सिरताज॥
ओ3म् शिरः॥

दौलत सूं दौलत बधै, दौलत आवै दोर।
जस होवै जब जगत में, जोबन आवै जोर॥
ओं बाहुभ्यां यशोबलम्॥

धंधौ करणौ धर्म सूं, लोकां लेणौ लाब।
पइसौ आवै प्रेम सूं, दबकै देणी दाब॥
इति कर्तलकर पृष्ठाभ्यां नमः॥

हक्क कमायौ हाथ सूं, ठावौ धरिये ठांम।
लुच्चौ आवै लेण नै, दीजे एक न दांम॥
इति अंगुष्ठाभ्यां नमः॥

अन धन जिण घर आसरौ, भला अरोगै भोग।
पइसौ हुवै न पास में, लूलू करदै लोग॥
इति  अनामिकाभ्यां नमः॥
स्रोत
  • पोथी : ऊमरदान-ग्रंथावली ,
  • सिरजक : ऊमरदान लालस ,
  • संपादक : शक्तिदान कविया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार ,
  • संस्करण : तृतीय
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