मायड़ रा मोह नै, झुरै सारी जीव जूंण।

भागां सुं भागी नै, पूर्‌ण मिलै प्रहलादसी॥

स्रोत
  • पोथी : मायड़ रौ मोह ,
  • सिरजक : प्रह्लाद सिंह राजपुरोहित ,
  • प्रकाशक : अखेराजोत प्रकाशन धुनियाड़ी नागौर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
जुड़्योड़ा विसै