प्रह्लाद सिंह राजपुरोहित
चावा कवि-लेखक।
चावा कवि-लेखक।
आला गाबां सोवती
बोली पूजा बौलवा
चर-चर करती चिड़कल्यां
ईला में ममता अेक
किसा अे देवै कमाय
कुळ मरजादा कांण
माता म्हारी मावड़ी
माता पाळ्यौ म्हनै
मायड़ भासा रौ मोह
मायड़ मिली न मोय
मायड़ मोटो मांण
मायड़ रा मोह नै
मीठा बोले मानवी
सबसुं मोटी संसार
सौ-सौ देवत सुमर
सोनो दिस्यौ संसार
सुख-दुख में सुख-दुखी
टग-मग टग-मग टुगां
थग-थग करतौ थड़ी
थट पड़तौ थाळ कुथाळ