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साइट: परिचय
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अंजस सोशल मीडिया
लहि रति सुख लगियै हियै
नागरीदास
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लहि
रति
सुख
लगियै
हियै,
लखी
लजौही
नीठि।
खुलति
न,
मो
मन
बंधि
रही,
वहै
अधखुली
दीठि॥
स्रोत
पोथी
: नागरीदास ग्रंथावली
,
सिरजक
: नागरीदास
,
संपादक
: डॉ. किशोरीलाल गुप्त
,
प्रकाशक
: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी
,
संस्करण
: प्रथम
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