जीवण नै सह तरसिया, बंजड़ झंखड़ वाढ।

वरसे, भोळी वादळी, आयो आज असाढ़॥

स्रोत
  • पोथी : बादली ,
  • सिरजक : चंद्र सिंह ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार ,
  • संस्करण : 7