जे लूआं थे जाणती, म्हारै तन री पीड़।
बादळियां नै जनम दे, भली बंटाती भीड़॥
भावार्थ:- हे लूओं! यदि तुम्हें वेदना का थोड़ा सा भी ज्ञान होता तो तुम अवश्य ही बादलियों द्वारा जल बरसा कर हमारे इस कठिन समय में सहायक होतीं।