जाकै सेवग रामजी, कमी नहीं कांई।

आत्म दशूं दिशा भरपूर है, अण चाह्या आई॥

स्रोत
  • पोथी : श्री महाराज हरिदासजी की वाणी सटिप्पणी ,
  • सिरजक : स्वामी आत्माराम ,
  • संपादक : मंगलदास स्वामी ,
  • प्रकाशक : निखिल भारतीय निरंजनी महासभा,दादू महाविद्यालय मोती डूंगरी रोड़, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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