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अंजस सोशल मीडिया
दादू, बहु रूपी मन तब लगै
दादूदयाल
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दादू,
बहु
रूपी
मन
तब
लगै,
जब
लग
माया
रंग।
जब
मन
लागा
राम
सौं,
तब
दादू
एकै
अंग॥
स्रोत
पोथी
: श्री दादू वाणी ( मन का अंग से उद्धृत)
,
सिरजक
: दादूदयाल
,
संपादक
: नारायण स्वामी
,
प्रकाशक
: श्री दादू दयालु महासभा , जयपुर
,
संस्करण
: प्रथम
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निर्गुण भक्ति काव्य