रज्जब रहिये राम में, गुर दादू के परसादि।

नातर जाता देख तों, जलम अमौलिख बादि॥

स्रोत
  • पोथी : रज्जब बाणी ,
  • सिरजक : रज्जब ,
  • संपादक : व्रजलाल वर्मा ,
  • प्रकाशक : उपमा प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड; कानपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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