घड़लै सूं घड़लो घसै बेर्यां कूंडां भीड़।
बारो ठाली बाजतां छोड निसांसां छीड़॥
भावार्थ:- कूइयों और कुंडों पर इतनी भीड़ है कि घड़े से घड़ा रगड़ खाता है। इतने में चरस की खाली आवाज सुन कर लम्बे निश्वास छोड़कर भीड़ हट जाती है।