किरसाणां हळ सांभिया, चित में आयो चेत।

हरख भर्‌या सै पूगिया, अपणै-अपणै खेत॥

भावार्थ:- किसानों ने हल संभाल लिये हैं, सबके चित्त में चेतना व्याप्त हो गई है और आनन्दमग्न हो कर सब अपने-अपने खेतों में पहुंच गये हैं।

स्रोत
  • पोथी : बादळी ,
  • सिरजक : चंद्र सिंह बिरकाळी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर (राज.) ,
  • संस्करण : छठा
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