सूतो देवर सेज रण, प्रसव अठी मो पूत।

थे घर बाभी बाँट थण, पालौ उभय प्रसूत॥

देवरानी अपनी जेठानी से कहती है कि हे भावज! इधर तो मेरे पुत्र उत्पन्न हुआ है और उधर आपके देवर रणशय्या पर सो गये है। अब यही उचित है कि आप अपना एक-एक स्तन मेरे आपके शिशु में बाँट कर दोनों को पालें, मैं सती होऊँगी।

स्रोत
  • पोथी : वीर सतसई (वीर सतसई) ,
  • सिरजक : सूर्यमल्ल मिश्रण ,
  • संपादक : डॉ. कन्हैयालाल , ईश्वरदान आशिया, पतराम गौड़ ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर
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