नागण जाया चीटला, सीहण जाया साव।
राणी जाया नहँ रुकै, सो कुळ वाट सुभाव॥
नागिनी से उत्पन्न सर्प-शिशु, सिंहनी से प्रसूत शावक और रानियों से पैदा हुए राजपूतों का तो यह स्वभाव एवं कुलमार्ग है कि वे किसी के रोके नही रुकते।