धरा गगन झळ ऊगळै, लद लद लूआं आय।

चप चप लागै चरड़का, जीव़ छिपाळी खाय॥

स्रोत
  • पोथी : लू ,
  • सिरजक : चंद्र सिंह ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार