पान खड़क्क्यां जावता कोसां छाळोछाळ।
बै सागी सुध बायरा आया जोड़ां पाळ॥
भावार्थ:- पत्तों की मरमर से चमक कर कोसों तक चौकड़ी भरने वाले हरिण प्यास के मारे सुध-बुध खोकर तालाबों के तटों पर आये खड़े हैं।