कूआं सामां आवतां डरै न अब रोळां।
खेळ्यां में टूट्या पड़ै काळा दिन धोळां॥
भावार्थ:- कूओं के पास आते ही अब काले हरिण लोगों के शोर से भयभीत नहीं होते। वे प्यास के मारे मध्याह्न ही में पानी के लिए ‘खेळों’ में टूटे पड़ते हैं।