जिण दिस देखो सूवती पैल बेम हिरण्यांह।

ठंडी निजरां जोयज्यो कर अूंची किरण्यांह॥

भावार्थ:- जिस दिशा में प्रथम प्रसव-वेदना से पीड़ित हरिणियाँ मिलें उनकी ओर अपनी शीतल दृष्टि रखना और उनके पास से जाते हुए अपनी प्रचंड किरणों को तनिक ऊंचा उठा लेना।

स्रोत
  • पोथी : लू ,
  • सिरजक : चंद्र सिंह बिरकाळी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर (राज.) ,
  • संस्करण : चतुर्थ
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