कोमळ कोमळ पांखड़्यां, कोमळ कोमळ पान।
कोमळ कोमळ बेलड़्यां, राख्या लूआं ध्यान॥
भावार्थ:- फूलों की नरम-नरम पंखुड़ियां, नवांकुरित नरम-नरम पत्ते और नन्हीं -नन्हीं मृदु लताओं को बचाने का प्रयत्न तो करना, लूओं!