नहीं नदी-नाळा अठै, नहिं सरवर सरसाय।
अैक आसरो वादळी, मरु सूकी मत जाय॥
भावार्थ:- यहाँ न तो नदी-नालें हैं और न सरोवर ही सरसा रहे हैं। बादळी एक तेरा ही आश्रय है, अतः मरुधरा में बरसे बिना ही न चली जाना।