खो मत जीवण, बावळी डूंगर-खोहां जाय।
मिलण पुकारै मुरधरा रम-रम धोरां आय॥
भावार्थ:- हे! बावली बादली, पर्वत-गुफाओं में जाकर मत खोओ। तुम से मिलने के लिये मरुधरा पुकार रही है। यहाँ आकर टीलों में रमण करो।