फांफां लाग्यां फाटिया भींतां लेव तमाम।
जाणै मन सूं मांडिया चीतारै चित्राम॥
भावार्थ:- दीवालों पर किया हुआ लेप जल-झोंकों से फट कर ऐसा लगता है मानो चित्रकार ने मन लगा कर चित्र बनाये हों।