आतां देख उंतावळी हिवड़ै हुयो हुळास।

सिर पर सूकी जावतां छुटी जीवण-आस॥

भावार्थ:- तुम्हें द्रुतगति से आती देख हृदय में हुलास हुआ, पर सिर पर से सूखी ही जाते समय जीवन की आशा छूट रही है।

स्रोत
  • पोथी : बादळी ,
  • सिरजक : चंद्र सिंह बिरकाळी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर (राज.) ,
  • संस्करण : छठा
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