छप्पर ओरां छांह में कर कर पूळां ओट
घणी जुगत राखै धणी लुआं न चूकै चोट॥
भावार्थ:- छप्पर और मकानों के अन्दर-बाहर पूलों की ओट कर बड़ी युक्ति से मालिक उनकी रक्षा करते हैं, फिर भी लूअें अपना वार किये बिना नहीं रहतीं।