चरचर करती चिड़कल्यां, करै रेत असनान।

तंबू सो अब ताणियो, वादळियां असमान॥

भावार्थ:- चर-चर करती हुई चिड़ियाएँ धूलि-स्नान कर रही हैं। अब बादलियों ने आसमान में तबूं-सा तान लिया है।

स्रोत
  • पोथी : बादळी ,
  • सिरजक : चंद्र सिंह बिरकाळी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर (राज.) ,
  • संस्करण : 6
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