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साइट: परिचय
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अंजस सोशल मीडिया
धन धरती आ मरधरा
समरथदान
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धन
धरती
आ
मरधरा,
धन
पीळी
परभात।
जिण
पुळ
दुरगो
जलमियो,
धन
बो
मांझल
रात॥
स्रोत
पोथी
: मध्यकालीन चारण काव्य
,
सिरजक
: समरथदान
,
संपादक
: जगमोहन सिंह
,
प्रकाशक
: मयंक प्रकाशन, जोधपुर
,
संस्करण
: प्रथम
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चारण साहित्य