चैत चुरावै चित्त नै, चित आयो चित चोर।

गौर बणाती गौरड़ी, खुद बणगी गणगौर॥

स्रोत
  • पोथी : दरद दिसावर ,
  • सिरजक : भागीरथसिंह भाग्य
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