जे खल भग्गा तो सखी, मोताहळ सज थाळ।
निज भग्गा तो नाह रौ, साथ न सूनो टाळ॥
हे सखी! यदि शत्रु भाग गये हो तो मोतियों से थाल सजा ला (जिससे प्राणनाथ की आरती उतारुँगी) और यदि अपने ही लोग भाग चले हों तो पतिदेव का साथ मत बिछुड़ने दे अर्थात् मेरे शीघ्र सती होने की तैयारी कर।