बोझा बांठ सुकाविया अड़्या दड़ाळा कैर।

दड़ी पड़ी हिरण्यां जठै लू बाळै किण बैर॥

भावार्थ:- छोटे-बड़े सभी वृक्ष सुखा दिये गये हैं, केवल बड़े-बड़े करील ही डटे हुए हैं। उन करीलों की ओट में छिपी हुई हरिणियों को ‘लू’ जाने किस पुराने बैर के कारण जला रही है?

स्रोत
  • पोथी : लू ,
  • सिरजक : चंद्र सिंह बिरकाळी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर (राज.) ,
  • संस्करण : चतुर्थ
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