खेजड़ल्यां री छांह में गायां अूंट गुवाळ।

लूआं आडी पीठ दे निठसी टाळै काळ॥

भावार्थ:- शमी वृक्षों की छांह में गायें, ऊंट और ग्वाले लूओं की ओर पीठ किये कठिनता से कालयापन कर रहे हैं।

स्रोत
  • पोथी : लू ,
  • सिरजक : चंद्र सिंह बिरकाळी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर (राज.) ,
  • संस्करण : चतुर्थ
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