आस लगायां मुरधरा, देख रही दिन रात।

भागी तूं वादळी, आयी रुत वरसात॥

स्रोत
  • पोथी : बादली ,
  • सिरजक : चंद्र सिंह ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार ,
  • संस्करण : 7