तवां पंथ उतराद, जको नैड़ौ हुय जावै।

वळे मात थण वना, जोऔ बाळक जीवावै।

आव मरकंड आव, जका मा नरमम जांणीजै।

कंचन अनै कथीर, एक मोले आंणीजै।

कहां व्यास तजै मुख सैंसकृत, दाखै प्रकत दूहड़ा।

समरिया 'गंग' अबखी समै, (जे) बेल आवै खूबड़ा।।

स्रोत
  • पोथी : खूबड़ जी रा कवित्त (मूल पांडुलिपि में से) ,
  • सिरजक : गंगाराम बोगसा
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