जळनध तजै म्रजाद, प्रगट गंगैव तजै पण।

भीम तजै भाराथ, जंग सर चूकै अरजण।

करगां माठौ करन, जोवौ गूडळौ गंगजळ।

पंथ थकै सपतास, सुणै नह पाबू सावळ।

मृगराज घास खावै मुदै, मारै लातां मरगड़ा।

(तौ) समरिया 'गंग' अबखी समै, बेल आवै खूबड़ा।।

स्रोत
  • पोथी : खूबड़ जी रा कवित्त (मूल पांडुलिपि में से) ,
  • सिरजक : गंगाराम बोगसा
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