तोय मटै नह तरस, इळा वायौ नह ऊगै।
भजन कियां सूं भगत, प्रगट प्रमजोत न पूगै।
महकि धेन दध मथ्यां, उणी पर घरत न आवै।
कळव्रछ तळ ग्यां कना, जोऔ दाळद नह जावै।
अभैमन डरै रण में अडर, घण देखै कैरव घड़ा।
(तौ) समरिया 'गंग' अबखी समै, बेल न आवै खूबड़ा।।