सत तज जावै सीत, हुवै बळहीणौ हड़मत।
जहर सरप तज जाय, जोऔ छांड़े लखमण जत।
होए गुणपत बुधहीण, उकत सुरसत नह आवै।
भोजन न मिटै भूख, भगत पहलाद न भावै।
श्री रांम बाण चूकै चंवर, खळ आसूर जूझै खड़ा।
(तौ) समरिया 'गंग' अबखी समै, बेल न आवै खूबड़ा।।