अवरां तणै उकील, जोर धन रौ कै जांणै।
प्रगळा केइक पंड, जाळसादी रा जांणै।
तूं केतां मात्रवी, प्रगट केतां रै सगपण।
नर केइक नादांन, प्रतख मारै पुखतापण।
स्याय नत रहै मादा सदू, धार बिरद धणियाप रौ।
है 'गंग' तणै खूबड़ हमै, एक उसीलौ आपरौ।।