बाई खूबड़ बेल, आई नत समरयां आवै।
बाई खूबड़ बेल, खळां जड़ मूळ खपावै।
बाई खूबड़ बेल, राजद्वारां रखवाळै।
बाई खूबड़ बेल, चोर रण वग्रह चाळै।
के वार स्याय खूबड़ करी, चारण सिंघ आवै चड़ी।
वाधै प्रवार अनधन वधै, बेल रहै नत खूबड़ी।।