छंद झपताल

छपन कुल कोड सो जोड़ बैठो सभा।
खेल पायक करे मल्ल ओडे खभा॥
उरवसी मेंन रंभा जसी अपछरा।
मोहणी रोहणी रंभरा मुंजरा॥

सूंण हद हेक नारद मल सारदा।
नाद अहिलाद पेहलाद सो नारदा॥
गंधर्वा चारण भाट मोटा गुणी।
चोज रूपकरी रागरी चाहणी॥

वेद वापार उदार मोटी वजा।
साव आदर लहे कूड़ पांमे सजा॥
केसरी कांन दे धर्म-कांमो करे।
पाप ले घातीयो लोहरे पांजरे॥

तेथ भेळा चरे सिंह सूरही तटा।
सींह नें बाकरी मीनड़ी सूवटा॥
तेथ वरणा वरण सरस वसूदेव तण।
मांडीयो त्याग द्वारामती महमहण॥
स्रोत
  • पोथी : रुकमणी-हरण ,
  • सिरजक : सायांजी झूला ,
  • संपादक : डॉ. पुरषोत्तमलाल मेनारिया ,
  • प्रकाशक : राजस्थान राज्य प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर (राज.) ,
  • संस्करण : प्रथम
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